Last modified on 8 मई 2019, at 12:20

काळ बरस रौ बारामासौ (असाढ) / रेंवतदान चारण

आशिष पुरोहित (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 12:20, 8 मई 2019 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=रेंवतदान चारण |अनुवादक= |संग्रह=...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)

कैवण काया दोय ही जीवण नै इक जीव
बरसी असाढ न बादली प्रिया पांतरी पीव

झींणी झींणो बादळी बायरियो झींणौह
कळपावै नित काळ में होवै दिन हींणौह

बादळ कदैक बरसता असाढ महीणै आय
पण काळ रोप पग ऊभियौ बिरखा नह बरसाय

आभै में चढ बादळी ज्यूं त्यूं कियौ जुगाड़
काळ हाथ आडा किया औसरियौ न असाढ