Last modified on 8 मई 2019, at 12:26

काळ बरस रौ बारामासौ (पोह) / रेंवतदान चारण

स्याळ अर लूंकी सीत में खोदे ऊंडी खोह
बाजै डांफर बायरौ पोचो महीणौ पोह

डग डग करती ठंड में धूजै नर री देह
चुंणता डोकां छांनड़ी जे मुलक बरसतो मेह

मरिया भूखा मांनवी रोया सगळी रात
पोह मास पतझड़ जिसौ तरवर झड़िया पात

टुग टुग जोया टाबरां माईतां रा मुक्ख
माथौ भांगण काळ रौ कद मिटसी औ दुक्ख