भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

काव्य-न्याय / गीत चतुर्वेदी

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

जिस आदम को स्वर्ग से बेआबरू निकाला गया
उसकी नियति देख लीजिए
आदम के आंगन में बाल-बच्चे किलक रहे
स्वर्ग ख़ुद ही नेस्तनाबूद हो गया