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न नगर में,
मजनुओं की डायरियों में भी न होतीं.
तब, प्रेम-पत्रों के दिन लडद लद जाते
ममता और प्रेम दूभर हो जाते
बुद्ध और गांधी अप्रिय हो जाते,