भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

का कहिबे? / लाला जगदलपुरी

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

मन रोवत हे मुँह गावत हे का कहिबे
गदहा घलो कका लागत हे का कहिबे?
अब्बड़ अगियाए लागिस छइहाँ बैरी
लहँकत घाम ह सितरावत हे का कहिबे?
खोर-खोर म कुकुर भूकिस रे भइया
घर म बघवा नरियावत हे का कहिबे?
छोंरिस बैरी मया-दया के रद्दा ला
सेवा ला पीवत-खावत हे का कहिबे?
चर डारे हे बखरी भर ईमान ला
कतका खातिस पगुरावत हे का कहिबे?
सावन-भादों बारों मास गरिबहा के
लकड़ी-कस मन गुँगुवावत हे का कहिबे?