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का का सियाईं / हरेश्वर राय

आँखिन के अम्बर में बाझ मेड़राता
छातिन के धरती प रेगनी फुलाता I
गऊआँ के पाकड़ प बइठल बा गीध
मुसकिल मनावल बा होली आ ईद I
खेतन में एह साल फुटि गइल भुआ
सहुआ दुअरिये प बइठल बा मुआ I
अदहन के पानी में जहर घोराइल बा
साँस लेल मुसकिल बा हावा ओराइल बा I
जीवन के डेंगी में भइल बा भकन्दर
लागता कि डूबी ई बीचे समन्दर I
चूर भइल सपना, भाग भइल घूर
रोपतानी आम त उगता बबूर I
मर गइले बाबूजी भइल ना दवाई
माई के पिनसिन प होता लड़ाई I
बुचिया के आँखि में माड़ा फुलाइल बा
मेहरि के ठेहुन के तेल ओरियाइल बा I
ए बउआ हरेशवर जी का का बताईं
चारु ओरे फाटल बा का का सियाईं I