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किण सूं बात करां / भगवतीलाल व्यास

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कितरा थोड़ा लोग
रह गया है आज
जिणांसूं बातां करतां
हियै रा तार नीं टूटै
काची कूकड़ी रै तार ज्यूं

कितरा थोड़ा औसर
रह गया है
बोल-बतळावण रा
अेक दूजै नै
सैं जणां कनै
घड़ियां है इण दिनां
कोई कणी नै ई नीं पूछै-
‘‘भाईजी घड़ी में
कीं टेम हुयौ होवैला?’’
सैं जणां नकसो बांचणो
सीख गया है
अंक ग्यांन हुयग्यौ है
सगळा लोगां नै
अब अलाणै रो घर
फलाणै नै नकसो बता दिया करै है
हर घर माथै
अेक अंक मंडियोड़ौ है
इण अंक सागै अेक नांव
पण टंकियोड़ौ है
नांव अर अंक
पूरै सै’र में बसे है
नांव अर अंक
मिनख कठै है ?

जिण मोटे मिनख रै
नांव माथै
इण कोलोनी रौ
नांव थरपीजियो है
वो पण बापड़ौ
नांव री सिल्लाड़ी रै
बोझ सूं दब गयौ है
इतरौ ऊडौ कै
वठै सूं डुसक्यां भरै तौ ई
सुणाई नीं देवै।
अै होळी-दीवाळी रा
रामं-सामां
रह गया है फगत
जरूरी टोटका
जिणनै लोग
भावी अनिष्ट निवारण सारूं
किया करै है
अर कह्या करै है-
वे इस्ट मित्रां सूं
मिल रह्या है।
कितरा थोड़ा
विसै रह गया है
जिण माथै बात कीधी जा सकै
परभात सूं संझ्यां तांई
विसै तौ वे ई है
जिका टी.वी. अर अखबार
परूस्या करै है सगळा नै
डिब्बाबंद भोजन ज्यूं
हमेसा वे ई पूड़ियां
वो ई आलु रौ फरको साग
अर अचार री डोढ़ फांक
कितीक देर चरचा सकै
उपभौक्ता
जीभां अेक स्वाद माथै ?

कितरा थोड़ा सबद
रह गया है चरचावां
संगोष्ठियां अर सम्मेलनां में
वे रा वे ई
चगळियौड़ा पानां
वागोल करतां-करतां
छिलीज गया है
ढांढा रा जाबड़ा
कठै है हर्या कच
नुवै सबदां रौ पालौ
कठै है अणथक हेताळू भाव
जो हाथां री ठौड़
बाथां भरीजतौ नीं संकै?