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कितनी हसीं ये शाम है इस शाम की बातें करें / धर्वेन्द्र सिंह बेदार

कितनी हसीं ये शाम है इस शाम की बातें करें
हम ज़हर काफ़ी पी चुके अब जाम की बातें करें

क्यों फ़ालतू बातों में अपना वक़्त हम जाया करें
बेकार की बातें नहीं बस काम की बातें करें

इस मुल्क में इन मज़हबों में आपसी इख़्लास हो
हिंदुत्व की बातें न ही इस्लाम की बातें करें

ये मज़हबी नफ़रत मिटाने के लिए आओ सभी
मिलकर मुहब्बत से भरे पैग़ाम की बातें करें

चर्चा फ़क़त हो प्यार की अब हो न चर्चा ख़ार की
बस तितलियों गुलशन गुल-ओ-गुलफ़ाम की बातें करें

सबसे बड़ा जो नाम है वह उस ख़ुदा का नाम है
सो भूलकर सब नाम बस उस नाम की बातें करें