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किताबें / आरती 'लोकेश'

हमें कुछ राज़ बताती हैं, बुलाती हैं सुबह-शाम किताबें,
हममें भी जीवन रहता है, बताती हैं सरे-आम किताबें।
पन्ना पन्ना कुछ कहता है, हर शब्द शब्द गूढ़ अर्थ भरे,
बिंब चित्र दृश्य कर प्रस्तुत, वर्ण-अक्षर के नाम किताबें।

कविताओं में उर की पीड़ा एक पल में देती हैं बाँच किताबें,
उपन्यास भरी आँखों के चश्मे से निकलती हैं झाँक किताबें।
झुर्रियों की कहानियों में छड़ी लिए हाथों को हैं थाम किताबें,
कभी अलाव सी शीत ऋतु में कभी ग्रीष्म की घाम किताबें।

गहरे ज़ख्म कभी उघड़ते कभी महरम हैं हर घाव किताबें,
कहीं तलवार कहीं औषधि कहीं धूप और छाँव किताबें।
व्यक्ति विशेष हो या समाज हो समाया पूरा ग्राम किताबें,
रद्दी न समझो इनको ये जन्मों तक आती हैं काम किताबें।

रिक्त अगर है मन का कोना भर कोमल नूतन भाव किताबें,
बन जातीं मित्र दु:ख में सुख में देखें आव न ताव किताबें।
दिल बहलाती दिल दहलाती कभी बन जाती राम किताबें,
कभी हँसाती कभी रुलाती आक्रोश बन बदनाम किताबें।

डायनासोर से लेकर अनंत अंतरिक्ष रहस्य भंडार किताबें,
बच्चे बूढ़े सबकी साथी मनुष्य का सारा संसार किताबें।
आकाश पाताल समग्र रचित के ग्रंथों का सम्मान किताबें,
पतंग बन उड़े कल्पना के गगन जो पढ़ता दिनमान किताबें।

गुनगुनाती हैं बड़बड़ाती हैं, स्वर सुर का संग्राम किताबें,
महापुरुषों की वाणी इनमें लगती हैं चारों धाम किताबें।
ज्ञानी की सज्जा विचार की मज्जा हैं ये प्राचीन धरोहर,
अलमारी में बंद न रखो इन्हें मत होने दो गुमनाम किताबें।