Last modified on 17 नवम्बर 2010, at 02:03

किरसाण / दीनदयाल शर्मा

अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 02:03, 17 नवम्बर 2010 का अवतरण (नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=दीनदयाल शर्मा }} Category:मूल राजस्थानी भाषा {{KKCatBaalKavita}}…)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)

खेत मांय
इन्नै-उन्नै गिणती रा
बळ्योड़ा सा
बाजरी रा बूँटा
अर काचर-मतीरड़्यां री
अळसायोड़ी बेलां नै
निरखतौ-पळंूसतौ
सियाळै-उन्याळै
ठरतौ-बळतौ
चळू-चळू सींचतौ
टाबरां नै पधेड़्यां चढायां
टैम-बेटैम बिलमांवतौ
बावळैतरियां उभाणै पगां भाजतौ
अर आंख्यां फाड़तौ
इण रेत रै संमदर मांय
कांईं जोवै
आ' नान्ही सी ज्यान
औ' मुड़दल सो किरसाण ।