Last modified on 22 मई 2019, at 16:55

किसने चुभोये जिस्म में नश्तर कहां कहां / कृपाशंकर श्रीवास्तव 'विश्वास'

किसने चुभोये जिस्म में नश्तर कहां कहां
मत पूछिए हैं घाव बदन पर कहां कहां।

ज़िंदा गरीब अब भी हैं कैसे, पता करो
रक्खी है सबने जान छिपाकर कहां कहां।

राहे-वफ़ा में था नहीं हरगिज़ कयास ये
छुपकर करेंगे वार सितमगर कहां कहां।

इस रहगुज़र को लीजिये पहचान गौर से
ढूंढेंगे आप हमको बिछड़कर कहां कहां।

इज़हारे-इश्क़ हम न करें दोस्त दर-बदर
हमको पता ज़मीन है बंजर कहां कहां।

बतला रहे हैं, फूल महक कर गुलाब के
बिखरा है मेरा दर्द छलक कर कहां कहां।

जुगनू तुम्हारी याद के करते रहे सफ़र
जाने तमाम रात फ़लक पर कहां कहां।

'विश्वास' दर्ज दिल ने किये वक़्त वक़्त पर
हमको मिले अज़ीज़ सुख़नवर कहां कहां।