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किसी की आँख में इक घर तलाशते रहिए / अनिरुद्ध सिन्हा

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किसी की आँख में इक घर तलाशते रहिए
बहुत हसीन सा मंज़र तलाशते रहिए

जहाँ तलक भी ये सहरा दिखाई देता है
वहीं तक अपना समुंदर तलाशते रहिए

मिलेगी आपको मंज़िल तो अपनी कोशिश से
ये और बात कि रहबर तलाशते रहिए

हमें शिकस्त न देगी समय की ये उलझन
नज़र से मील का पत्थर तलाशते रहिए

बचा हुआ है हमारे लिए यही अब तो
हथेलियों पे मुक़द्दर तलाशते रहिए