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"किसे दिखाऊँ जख़्म हृदय का गहरा-गहरा है / डी. एम. मिश्र" के अवतरणों में अंतर

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किसे दिखाऊँ जख़्म हृदय का गहरा-गहरा है।
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तिनका-तिनका जीवन वह भी बिखरा-बिखरा है।  
 
तिनका-तिनका जीवन वह भी बिखरा-बिखरा है।  
  
नदी सूखकर केवल बालू-बालू बची हुई,
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नदी सूखकर केवल बालू-बालू बची हुई
 
रहा शेष इक चेहरा वह भी उतरा-उतरा है।
 
रहा शेष इक चेहरा वह भी उतरा-उतरा है।
  
किसके आगे रोऊँ जाकर किससे गिला करूँ,
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किसके आगे रोऊँ जाकर किससे गिला करूँ
 
मेरे लिए तो जग सारा ये बहरा-बहरा है।
 
मेरे लिए तो जग सारा ये बहरा-बहरा है।
  
लोग यहाँ के यारो घोड़ा बेच के सोते हैं,
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लोग यहाँ के यारो घोड़ा बेच के सोते हैं
 
चोर ले गये दौलत सारी पहरा-पहरा है।
 
चोर ले गये दौलत सारी पहरा-पहरा है।
  
बड़ी-बडी उम्मीदें चंद पलों में टूट गयीं,
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बड़ी-बडी उम्मीदें चंद पलों में टूट गयीं
 
कहाँ खिलाऊँ फूल यहाँ तो सहरा-सहरा है।
 
कहाँ खिलाऊँ फूल यहाँ तो सहरा-सहरा है।
  
 
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16:41, 23 अगस्त 2017 के समय का अवतरण

किसे दिखाऊँ जख़्म हृदय का गहरा-गहरा है
तिनका-तिनका जीवन वह भी बिखरा-बिखरा है।

नदी सूखकर केवल बालू-बालू बची हुई
रहा शेष इक चेहरा वह भी उतरा-उतरा है।

किसके आगे रोऊँ जाकर किससे गिला करूँ
मेरे लिए तो जग सारा ये बहरा-बहरा है।

लोग यहाँ के यारो घोड़ा बेच के सोते हैं
चोर ले गये दौलत सारी पहरा-पहरा है।

बड़ी-बडी उम्मीदें चंद पलों में टूट गयीं
कहाँ खिलाऊँ फूल यहाँ तो सहरा-सहरा है।