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"किस को गुमाँ है अबके मेरे साथ तुम भी थे / फ़राज़" के अवतरणों में अंतर
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किस को गुमाँ है अबके मेरे साथ तुम भी थे, | किस को गुमाँ है अबके मेरे साथ तुम भी थे, | ||
− | हाय वो रोज़ो-शब | + | हाय वो रोज़ो-शब के मेरे साथ तुम भी थे |
यादश बख़ैर अहदे-गुज़िश्ता की सोहबतें, | यादश बख़ैर अहदे-गुज़िश्ता की सोहबतें, | ||
− | एक दौर था अजब | + | एक दौर था अजब के मेरे साथ तुम भी थे |
बे-महरी-ए-हयात की शिद्दत के बावजूद, | बे-महरी-ए-हयात की शिद्दत के बावजूद, | ||
− | दिल मुतमईन था जब | + | दिल मुतमईन था जब के मेरे साथ तुम भी थे |
मैं और तकाबिले- ग़मे-दौराँ का हौसला, | मैं और तकाबिले- ग़मे-दौराँ का हौसला, | ||
− | कुछ बन गया सबब | + | कुछ बन गया सबब के मेरे साथ तुम भी थे |
इक ख़्वाब हो गई है रह-रस्मे- दोसती, | इक ख़्वाब हो गई है रह-रस्मे- दोसती, | ||
− | एक वहम सा है अब | + | एक वहम -सा है अब के मेरे साथ तुम भी थे |
− | + | ||
वो बज़्म मेरे दोस्त याद तो होगी तुम्हें "फराज़" | वो बज़्म मेरे दोस्त याद तो होगी तुम्हें "फराज़" | ||
− | वो महफ़िले-तरब | + | वो महफ़िले-तरब के मेरे साथ तुम भी थे |
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22:46, 21 जून 2010 के समय का अवतरण
किस को गुमाँ है अबके मेरे साथ तुम भी थे,
हाय वो रोज़ो-शब के मेरे साथ तुम भी थे
यादश बख़ैर अहदे-गुज़िश्ता की सोहबतें,
एक दौर था अजब के मेरे साथ तुम भी थे
बे-महरी-ए-हयात की शिद्दत के बावजूद,
दिल मुतमईन था जब के मेरे साथ तुम भी थे
मैं और तकाबिले- ग़मे-दौराँ का हौसला,
कुछ बन गया सबब के मेरे साथ तुम भी थे
इक ख़्वाब हो गई है रह-रस्मे- दोसती,
एक वहम -सा है अब के मेरे साथ तुम भी थे
वो बज़्म मेरे दोस्त याद तो होगी तुम्हें "फराज़"
वो महफ़िले-तरब के मेरे साथ तुम भी थे