भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

किस से रूठें किस से बोलें / राजेश चड्ढा

Kavita Kosh से
अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 01:45, 15 जुलाई 2010 का अवतरण (नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=राजेश चड्ढा |संग्रह= }} {{KKCatGhazal‎}}‎ <poem> किस से रूठें क…)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

  
किस से रूठें किस से बोलें
किस की मानें किस को तोलें

जिस का पलडा देखें भारी,
ऐन वक़्त पर उस के हो लें

गंगा जब दर से ही निकले,
क्यों ना हाथ उसी में धो लें

तुम भी सच जब ताक पे रखो,
हम भी झूठ कहाँ तक बोलें

अपनी भूख पे अपनी रोटी,
नहीं मिली सामूहिक रो लें