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कि जिस दिल में व्यथा का वास होगा / शिव ओम अम्बर

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कि जिस दिल में व्यथा का वास होगा,
वहीं काशी वहीं कैलास होगा।

जुड़ी हैं चाटुकारों की सभाएँ
यहाँ हर मूल्य का उपहास होगा।

प्रकृति में आपकी शालीनता है,
नियति में आपकी निःश्वास होगा।

दिया वो आँधियों से है मुखातिब,
उसे खुद पे बहुत विश्वास होगा।

अनिर्वचनीय को गाने चला हूँ,
मेरे स्वर में विरोधाभास होगा।