भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
कि जीवन आशा का उल्लास / हरिवंशराय बच्चन
Kavita Kosh से
Tusharmj (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 12:57, 26 मई 2010 का अवतरण (नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=हरिवंशराय बच्चन }} कि जीवन आशा का उल्लास, कि जी…)
कि जीवन आशा का उल्लास,
कि जीवन आशा का उपहास,
कि जीवन आशामय उद्गार,
कि जीवन आशाहीन पुकार,
- दिवा-निशि की सीमा पर बैठ
- निकालूँ भी तो क्या परिणाम,
- विहँसता आता है हर प्रात,
- बिलखती जाती है हर शाम!