Last modified on 27 दिसम्बर 2019, at 14:34

की हो गेलय समय के / मुनेश्वर ‘शमन’

गलत नञ हइ
केकरो से ऐसन उमेद रखना /
कि ओकरा होवय चाही /
सच्चा-भला/
ओकरा में होवय के चाहिये
प्रेम-करुना-दया /
नीति-करम-धरम
आउ आदमीयत।
कि देखय ऊ आदमी के /
आदमी के नजर से।
दूर-दूर तक / नञ लखा हे
चीज ऐसन
बात ओइसन।
घर हो कि बाहर /
गाँव-सहर-महानगर
एक अजनबीपन / सगरो
बेरुखी से माथा उठइले खड़ा हे।
बहुत जतन से।
लगावल गेल पौध भी
नञ छितरावे हे
अपेक्षित छाँह।
की हो गेलय हे समय के ?