भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

कुकर्म करे मानव पावत है नाना दुःख / शिवदीन राम जोशी

Kavita Kosh से
Lalit Kumar (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 09:48, 9 दिसम्बर 2011 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=शिवदीन राम जोशी }} <poem> कुकर्म करे मान...' के साथ नया पन्ना बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

कुकर्म करे मानव पावत है नाना दुःख,
सुकर्म के करे ते सुख मिलता नर घनेरा है।
तीरथ पुन्य दानन से करता सनमान सत्य,
धन्य धन्य मानव यही भाग्य का सवेरा है।
करता सतसंग संग, भक्ति का चढाय रंग,
राम नाम लेने से भागे भ्रम अंधेरा है।
कहता शिवदीन राम मिलता विश्राम राम,
सतगुरु का लाल बने चरणन का चेरा है।