Last modified on 26 फ़रवरी 2012, at 14:06

कुछ ऐसा अभिशाप रहा..../ ओमप्रकाश यती

Omprakash yati (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 14:06, 26 फ़रवरी 2012 का अवतरण ('{{kkGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार = ओमप्रकाश यती |संग्रह= }} {{KKcatGhazal}} <poem> क...' के साथ नया पन्ना बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)

साँचा:KkGlobal

साँचा:KKcatGhazal

कुछ ऐसा अभिशाप रहा
जीवन भर चुपचाप रहा

दोष किसी को क्या दूँ मैं
अपना दुश्मन आप रहा

माया की इस नगरी में
सबको फलता पाप रहा

पूज नहीं पाया उसको
इसका पश्चाताप रहा

पूरा गीत रहे तुम ही
मैं तो बस आलाप रहा