Last modified on 18 फ़रवरी 2013, at 12:24

कुछ काम था क्या आपको / दिविक रमेश

अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 12:24, 18 फ़रवरी 2013 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=दिविक रमेश |संग्रह= }} {{KKCatKavita‎}} <poem> वह ...' के साथ नया पन्ना बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)

वह कोई दूसरा आदमी था
जो कल मिला था आपसे

अरे-अरे ! चौंकने से नहीं चलेगा काम
विश्वास कीजिए
इसके सिवा चारा कोई है भी नहीं आपके पास

था तो मैं ही
नहीं-नहीं, नहीं था कोई और मेरा प्रतिरूपी
था तो मैं ही
यानी मेरी ही आकृति
पर था वह कोई दूसरा ही आदमी

कल जो मिला था
वह एक ज़रूरतमंद था, घोंचू, घिघयाया
उसे चाहिए थी आपकी दया, कृपा आदि-आदि

आज यह जो आपके सामने है
उसे तो आप तक की ज़रूरत नहीं है

फिर भी
कहिए, कुछ काम था क्या आपको ?