भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

कुछ ज़रूरत से कम किया गया है / तहज़ीब हाफ़ी

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

कुछ ज़रूरत से कम किया गया है
तेरे जाने का ग़म किया गया है

ता-क़यामत हरे भरे रहेंगे
इन दरख़्तों पे दम किया गया है

इस लिए रौशनी में ठंडक है
कुछ चराग़ो को नम किया गया है

क्या ये कम है कि आख़िरी बोसा
उस जबीं पर रकम किया गया है

पानियो को भी ख़्वाब आने लगे
अश्क दरिया में ज़म किया गया है

उन की आँखों का तजि़्करा कर के
मेरी आँखों को नम किया गया गया है

धूल में अट गए है सारे ग़ज़ाल
इतनी शिद्दत से रम किया गया है