http://kavitakosh.org/kk/index.php?title=%E0%A4%95%E0%A5%81%E0%A4%9B_%E0%A4%9C%E0%A4%BF%E0%A4%82%E0%A4%A6%E0%A4%97%E0%A4%BF%E0%A4%AF%E0%A4%BE%E0%A4%82_/_%E0%A4%AE%E0%A4%A8%E0%A5%8B%E0%A4%9C_%E0%A4%85%E0%A4%B9%E0%A4%B8%E0%A4%BE%E0%A4%B8&feed=atom&action=historyकुछ जिंदगियां / मनोज अहसास - अवतरण इतिहास2024-03-28T20:15:14Zविकि पर उपलब्ध इस पृष्ठ का अवतरण इतिहासMediaWiki 1.24.1http://kavitakosh.org/kk/index.php?title=%E0%A4%95%E0%A5%81%E0%A4%9B_%E0%A4%9C%E0%A4%BF%E0%A4%82%E0%A4%A6%E0%A4%97%E0%A4%BF%E0%A4%AF%E0%A4%BE%E0%A4%82_/_%E0%A4%AE%E0%A4%A8%E0%A5%8B%E0%A4%9C_%E0%A4%85%E0%A4%B9%E0%A4%B8%E0%A4%BE%E0%A4%B8&diff=247547&oldid=prevRahul Shivay: '{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=मनोज अहसास |अनुवादक= |संग्रह= }} {{KKCatKav...' के साथ नया पृष्ठ बनाया2018-05-06T15:30:24Z<p>'{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=मनोज अहसास |अनुवादक= |संग्रह= }} {{KKCatKav...' के साथ नया पृष्ठ बनाया</p>
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|अनुवादक=<br />
|संग्रह=<br />
}}<br />
{{KKCatKavita}}<br />
<poem><br />
कुछ जिंदगियां होती हैं<br />
सीलन भरे अंधेरे कमरों की तरह<br />
जिनके खिड़की दरवाज़े <br />
मुद्दत से बंद हैं<br />
वहां कोई भी नही जाता<br />
वहाँ घूमते हैं<br />
कुंठाओं के कॉकरोच<br />
उदासियों की छिपकलियां<br />
वेदनाओं की चीटियां<br />
और<br />
कश्मकश की मकड़ियां<br />
जो बुनती रहती हैं सदा <br />
एक जाल<br />
जिससे<br />
कभी हल्की सी भी दरार होने पर<br />
दरवाजे में<br />
अगर आ जाये<br />
कोई तितली <br />
उल्लास की <br />
तो<br />
उलझकर <br />
घुटकर<br />
मर जाये<br />
कुछ जिंदगियां.....<br />
धीरे धीरे<br />
ये सब चीज़े मिलकर<br />
निगल जाती हैं<br />
नैतिकता का प्लास्टर<br />
उखड़ जाता है संस्कारों का फर्श<br />
गिर जाती है<br />
उद्दात की छत<br />
अफसोस <br />
कुछ खूबसूरत हो सकने वाली जिंदगियां.....<br />
</poem></div>Rahul Shivay