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{{KKGlobal}}{{KKRachna|रचनाकार: [[=सुदर्शन फ़ाकिर]][[Category:कविताएँ]]}}[[Category:गज़ल]]{{KKCatGhazal}}[[Category: सुदर्शन फ़ाकिर]]<poem> कुछ तो दुनिया कि इनायात ने दिल तोड़ दियाऔर कुछ तल्ख़ी-ए-हालात ने दिल तोड़ दिया
~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~हम तो समझे थे के बरसात में बरसेगी शराबआयी बरसात तो बरसात ने दिल तोड़ दिया
कुछ दिल तो दुनिया कि इनायात ने दिल तोड़ दिया<br>रोता रहे, ओर आँख से आँसू न बहेऔर कुछ तल्ख़ी-ए-हालात इश्क़ की ऐसी रवायात ने दिल तोड़ दिया<br><br>
हम तो समझे थे के बरसात में बरसेगी शराब<br>वो मेरे हैं, मुझे मिल जायेंगे, आ जायेंगेआयी बरसात तो बरसात ऐसे बेकार ख़यालात ने दिल तोड़ दिया<br><br>
दिल तो रोता रहे, ओर आँख से आँसू न बहे<br>इश्क़ की ऐसी रवायात ने दिल तोड़ दिया<br><br> वो मेरे हैं, मुझे मिल जायेंगे, आ जायेंगे<br>ऐसे बेकार ख़यालात ने दिल तोड़ दिया<br><br> आप को प्यार है मुझ से के नहीं है मुझ से <br>जाने क्यों ऐसे सवालात ने दिल तोड़ दिया <br><br/poem>
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