Last modified on 30 सितम्बर 2018, at 08:12

कुछ दोस्त दुश्मनी भी निभाते हैं आजकल / रंजना वर्मा

कुछ दोस्त दुश्मनी भी निभाते हैं आजकल ।
बर्बादियों का जश्न मनाते हैं आजकल।।

लोगों की आरियाँ हैं यूँ पेड़ों पे चल पड़ीं
पंछी भी तो नही नज़र आते हैं आजकल।।

रोटी मकान चाहिये हर एक को यहाँ
खेती में मगर दिल न लगाते हैं आजकल।।

गंगा युगों से पाप सभी के है धो रही
सरि निर्मला में मैल मिलाते हैं आजकल।।

झूठे औ बेइमान की है पूछ यहाँ पर
सच्चे हैं जो ठोकर वही खाते हैं आजकल।।

मत सोचिये कि राह है इनकी इमान की
ये झूठ का ही दौर चलाते हैं आजकल।।

सतपंथ की है राह कठिन मुश्किलों भरी
राही नहीं इस पर नजर आते हैं आजकल।।