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कुछ नहीं होता / इधर कई दिनों से / अनिल पाण्डेय

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समय के पहले
या बाद समय के कुछ नहीं होता
जो भी होता है
अपने समय पर होता है

कोयल का कुहुकना
मुर्गे का बाग़ देना
मंडराना भौरें का
कौवे का काँव काँव करना

सब कुछ अपने समय पर होता है
नहीं होता कुछ भी अनिश्चित
कुछ भी आकस्मिक नहीं होता है

समय आता है
और बदलने लगता है सब कुछ
जो जानते हैं चुप रहते हैं
नहीं जानते हैं जो वे चिल्लाते हैं

सब को अंदाजा होता है
बसंत का महीना है तो कोयल ने कुहुकना है
बरसात का महीना है
करना है मेढक ने टर्रटोइ टर्रटोइ

वे चुप हैं
ऋतु के बीत जाने का इंतज़ार कर रहे हैं
वे हैरान हैं चुप्पी में सनसनी फैलाकर
अपने होने का ऐलान कर रहे हैं