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कुछ भी कहने की ज़रूरत नहीं
कुछ सीखने की भी ज़रूरत नहीं
बहुत उदास है पर है भली-भली
उसकी वहशियाना आत्मा काली
कुछ सीखना वह चाहती नहीं
और ख़ुद कुछ कह पाती नहीं
तैर रही है युवा डेल्फ़िन-सी
दुनिया के प्राचीन भँवर में ही
(रचनाकाल : 1909)
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कुछ भी कहने की ज़रूरत नहीं
कुछ सीखने की भी ज़रूरत नहीं
बहुत उदास है पर है भली-भली
उसकी वहशियाना आत्मा काली
कुछ सीखना वह चाहती नहीं
और ख़ुद कुछ कह पाती नहीं
तैर रही है युवा डेल्फ़िन-सी
दुनिया के प्राचीन भँवर में ही
(रचनाकाल : 1909)