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कुछ लोग थे कि रेत में जल ढूँढते रहे / ज्ञान प्रकाश विवेक
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कुछ लोग थे कि रेत में जल ढूँढते रहे
सूखी हथेलियों पे कमल ढूँढते रहे
कल हम अँधेरी रात की क्यारी में दोस्तो
आवारा जुगनुओं की फ़सल ढूँढते रहे
रोटी का एक प्रश्न उछाला हयात ने
सब लोग उस सवाल का हल ढूँढते रहे
उन दोस्तों के नज़रिये पे तबसरा भी क्या
जो झोंपड़ी में ताजमहल ढूँढते रहे