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कुम्हार / पाब्लो नेरूदा

 
तुम्हारे शरीर की सम्पूर्णता
उसकी नर्मी मेरे लिए है

जब मैं उठाता हूँ अपने हाथ
तो उनमें दो कपोत पाता हूँ
वह मेरी खुद की तलाश थी मानो
कुम्हार की तरह मैंने
अपने हाथों से तुम्हें
प्यार की मिट्टी से गढ़ा

तुम्हारे घुटने, तुम्हारे स्तन,
तुम्हारी कमर
ये सब मेरे ही तो खोए हुए हिस्से हैं
मानो प्यासी धरती का शून्य
जहाँ से उन्होंने आखिरकार
एक रूप धरा और फिर
हम पूर्ण हुए
एक नदी की तरह
रेत के एक अकेले दाने की मानिन्द।

सन्दीप कुमार द्वारा अँग्रेज़ी से अनूदित