भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

कुरार गाँव की औरतें-3 / देवमणि पांडेय

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

कुरार गाँव की औरतें
अच्छी तरह जानती हैं कि
किस वर्ष बरसात से
उनकी गली में बाढ़ आई
किसके बेटे-बेटियों ने शादी रचाई
किस औरत को
कब कौन-सा बच्चा हुआ
और कब कौन उनकी गली छोड़कर
कहीं और चला गया

लेकिन उन्हें नहीं पता कि तब से
यह शहर कितना बदल गया
कब कौन-सा फैशन आया और चला गया
और अब तक समय
उनकी कितनी उम्र निगल गया

अपनी छोटी दुनिया में
छोटी झोंपड़ी और छोटी गली में
कितनी ख़ुश -
कितनी संतुष्ट हैं औरतें

सचमुच महानगर के लिए
चुनौती हैं ये औरतें