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"कृष्णकाय सड़कों पर / 'सज्जन' धर्मेन्द्र" के अवतरणों में अंतर

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छोटे सड़क से उतरें
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यह चाहते बड़े हैं
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गति को गले लगाकर
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नफ़रत यहाँ फली है
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है भागती अमीरी
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सड़कों के मध्य जाकर
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है तड़पती ग़रीबी
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पहियों के नीचे आकर
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काली इसी लहू से
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हर सड़क हर गली है
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ओ शंख-चक्र धारी
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अब तो उतर धरा पर
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जो रास्ते हैं काले
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उनको पुनः हरा कर
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कब से समय के दिल में
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यह लालसा पली है
 
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10:00, 21 जनवरी 2019 के समय का अवतरण

कृष्णकाय सड़कों पर
सभ्यता चली है

यौवन-जरा में अनबन
भगवा-हरा लड़े हैं
छोटे सड़क से उतरें
यह चाहते बड़े हैं

गति को गले लगाकर
नफ़रत यहाँ फली है

है भागती अमीरी
सड़कों के मध्य जाकर
है तड़पती ग़रीबी
पहियों के नीचे आकर

काली इसी लहू से
हर सड़क हर गली है

ओ शंख-चक्र धारी
अब तो उतर धरा पर
जो रास्ते हैं काले
उनको पुनः हरा कर

कब से समय के दिल में
यह लालसा पली है