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कृष्ण सुदामा चरित्र / शिवदीन राम जोशी / पृष्ठ 5

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चंवर मोरछल करते थे,

    सेवा से दिल न अघाते थे |

यह आनन्द अद्भुत देख-देख,

  द्विज जाने यह जाने न मुझे |

करते हैं स्वागत धोके में,

    प्रभु शायद पहचाने न मुझे |

भक्त की कल्पना सभी,

      उर अन्तर्यामी जान गये |

भक्त सुदामा के दिल की,

     बाते सब ही पहचान गये |

बोले घनश्याम याद है कछु,

   जब हम तुम दोनों पढ़ते थे |

थी कृपा गुरु की अपने पर,

    पढ़-पढ़ के आगे बढ़ाते थे |