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"कृष्ण सुदामा चरित्र / शिवदीन राम जोशी / पृष्ठ 9" के अवतरणों में अंतर

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चित्त में चिन्ता ईक है यही,
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चित्त में चिन्ता है एक यही,
वहाँ जाने देगा कौन मुझे,  
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            वहाँ जाने देगा कौन मुझे,  
 
मेरे दिल के अनुरागों को,
 
मेरे दिल के अनुरागों को,
वहाँ गाने देगा कौन मुझे |
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            वहाँ गाने देगा कौन मुझे |
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जहाँ दरबानों से भूप बड़े,
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            जाने की अर्जी लगाते हैं,
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खड़े रहे घन्टों ही तक,
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            मुश्किल से मौका पाते हैं |
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वहाँ कौन मुझे जाने देगा,
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            कंगाल दीन दुखियारे को,
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मैं कैसे हाल सुनाऊंगा, 
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          उस मोहन मुरली वारे को |
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कौन करेगा खबर मेरी,
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          यह हालत देख दीवाने की,
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ठीक नहीं जचती दिल में,
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        अब लज्जावश घर जाने की |
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विप्र  सोचता  राह में  चलता  रहा  हमेश |
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जा पहुँचा कछु काल में पुरी द्वारिका देश ||
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        == '''द्वारिका वर्णन ''' ==
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बिल्लोर के स्थान बने सुन्दर,
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                उत्तम दिखलाई देते थे,
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सुनहले जटित रत्नों से थे,
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            मन लुभा लुभा हर लेते थे |
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द्वारों पर मोती सटे हुए,
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              वहाँ बंधी झालरें लहराती,
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किले पर रंग बिरंगी सुन्दर,
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                ध्वजा पताका फहराती |
 
    
 
    
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08:28, 21 जून 2016 का अवतरण

चित्त में चिन्ता है एक यही,
            वहाँ जाने देगा कौन मुझे,
मेरे दिल के अनुरागों को,
            वहाँ गाने देगा कौन मुझे |
जहाँ दरबानों से भूप बड़े,
            जाने की अर्जी लगाते हैं,
खड़े रहे घन्टों ही तक,
            मुश्किल से मौका पाते हैं |
वहाँ कौन मुझे जाने देगा,
            कंगाल दीन दुखियारे को,
मैं कैसे हाल सुनाऊंगा,
           उस मोहन मुरली वारे को |
कौन करेगा खबर मेरी,
           यह हालत देख दीवाने की,
ठीक नहीं जचती दिल में,
         अब लज्जावश घर जाने की |

विप्र सोचता राह में चलता रहा हमेश |
जा पहुँचा कछु काल में पुरी द्वारिका देश ||
     
            
         == द्वारिका वर्णन ==


बिल्लोर के स्थान बने सुन्दर,
                 उत्तम दिखलाई देते थे,
सुनहले जटित रत्नों से थे,
             मन लुभा लुभा हर लेते थे |
द्वारों पर मोती सटे हुए,
               वहाँ बंधी झालरें लहराती,
किले पर रंग बिरंगी सुन्दर,
                 ध्वजा पताका फहराती |