भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

कृष्ण हारा हइलाम गो (भाटियाली) / बांग्ला

Kavita Kosh से
अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 19:05, 26 जनवरी 2009 का अवतरण (नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKLokRachna |रचनाकार=अज्ञात }} {{KKLokGeetBhaashaSoochi |भाषा=बांग्ला }} <poem> कृष्ण हारा...)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

   ♦   रचनाकार: अज्ञात

कृष्ण हारा हइलाम गो,
कृष्ण हारा हइया कान्दछि गो वने निशि दिने
ओ गो, आमार मत दीन दुःखिनी,
के आछे आर वृन्दावने।।
सखी गो, यार ये ज्वाला सेइ जाने
 अन्य कि आर जाने
आमार अरण्ये रोदन करा,
कार काछे कइ, केवा शोने।।
सखी गो, नयन दिलाम रूपे नेहारे
प्राण दिलाम तार सने।
ओ गो, देह दिलाम, अंगे वसन,
मन दिलाम तार श्रीचरणे।।
सखी गो, कृष्ण सून्य देह गो आमार,
काज कि ए जीवने।
अधीन कालाचाँद, कय,
राइ मरिल श्याम बिहने।।