♦ रचनाकार: अज्ञात
केकरा सोभे लाल लाल पगिया, केकरा सोभे मटुकिया।
देखु देखु हे सखिया, दुलहा ऐलै बरियतिया॥1॥
आगु आगु आबै छै दुलहा बाबू, तहिं पाछू आबै बरियतिया।
देखो देखो हे सखिया॥2॥
‘हूँ हूँ’ करै कहरिया आबै, आगु आगु रँगे रबाइसी<ref>आतिशबाजी</ref>।
तहिं पाछु छूटे पड़किया<ref>पटाखे</ref>, देखो देखो हे सखिया॥3॥
शब्दार्थ
<references/>