भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

केन्होॅ छै ई देश, देश ई केन्होॅ छै / सियाराम प्रहरी

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

केन्होॅ छै ई देश, देश ई केन्होॅ छै

बेटा जहाँ बिकैलोॅ जाय छै
बेटी जहाँ जलैलोॅ जाय छै
जे बहु के झरकाय रहल छै, बाँचै छै उपदेश
देश ई केन्होॅ छै।

नारी के सम्मान जहाँ नै
धरम आरु ईमान जहाँ नै
ऐन्होॅ घोॅर घोॅर नै लागै, लागै छै परदेश
देश ई केन्होॅ छै।

दामन में छै दाग लगावै
आरो अपनोॅ नाम घिनावै
देखि देखि गिरलोॅ समाज ई, दिल पर लागै ठेस
देश ई केन्होॅ छै।

केन्होॅ बौखल ई समाज छै
तनियोॅ सन लागै न लाज छै
चारो दिस अन्हरिया हेनोॅ, कुछ नै बचलोॅ शेष
देश ई केन्होॅ छै।