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केसर भई राधिका रानी / ईसुरी

केसर भई राधिका रानी,
गलन गलन मिहकानी।
चम्पा, जुही केतकी बेला
ललत बेल लिपटानी
जिनसें भौत तड़ंगें उठतीं
ज्यों गुलाब कौ पानी।
ईसुर किसनचन्द मधुकर नें
लइ सुगन्द मनमानी।