Last modified on 12 जुलाई 2015, at 15:02

कैलेण्डर की नमी / लीलाधर मंडलोई

अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 15:02, 12 जुलाई 2015 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=लीलाधर मंडलोई |अनुवादक= |संग्रह= }}...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)

पर्व हो, त्यौहार या फिर
कैलेण्डर में फडफ़ड़ाता
कोई धार्मिक दिन

चली आती हैं शुभकामनाएँ
राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री
यहाँ तक नेता प्रतिपक्ष की

अख़बार, रेडियो और टी० वी० पर अचूक
कोई अफ़सोस नहीं आता कभी

जबकि
इतनी काली तारीख़ों से भरा है
नमी में फडफ़ड़ाता हर पन्ना