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कैवै कांई, करै कांई / इरशाद अज़ीज़

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मत बोल थूं आवळ-कावळ
सीधी-सट बात कर
थारै सबदां अर
मन मांयली खदबदाट
लावै कळझळती भासा
म्हैं जाणूं हूं
थूं कैवै कांई है
अर करै कांई है।