Last modified on 28 फ़रवरी 2009, at 09:10

कैसा आया काल / सौरभ

धुँध कोहरे से भरी धरती
दिन में हो गई रात
पँछी दुबके घोंसलों में
कैसा आया काल
धरती हुई लाल बिना महाभारत
रक्षक बने भक्षक
कौए करें गुटरगूँ
घोड़े खाएँ घास
पँछी-पँछी को खाए
इन्सान खाए इन्सान।