http://kavitakosh.org/kk/index.php?title=%E0%A4%95%E0%A5%88%E0%A4%B8%E0%A5%80_%E0%A4%A6%E0%A5%8B%E0%A4%AA%E0%A4%B9%E0%A4%B0%E0%A5%80_%E0%A4%B9%E0%A5%88_/_%E0%A4%B0%E0%A4%BE%E0%A4%9C%E0%A5%87%E0%A4%A8%E0%A5%8D%E0%A4%A6%E0%A5%8D%E0%A4%B0_%E0%A4%97%E0%A5%8C%E0%A4%A4%E0%A4%AE&feed=atom&action=historyकैसी दोपहरी है / राजेन्द्र गौतम - अवतरण इतिहास2024-03-28T22:54:54Zविकि पर उपलब्ध इस पृष्ठ का अवतरण इतिहासMediaWiki 1.24.1http://kavitakosh.org/kk/index.php?title=%E0%A4%95%E0%A5%88%E0%A4%B8%E0%A5%80_%E0%A4%A6%E0%A5%8B%E0%A4%AA%E0%A4%B9%E0%A4%B0%E0%A5%80_%E0%A4%B9%E0%A5%88_/_%E0%A4%B0%E0%A4%BE%E0%A4%9C%E0%A5%87%E0%A4%A8%E0%A5%8D%E0%A4%A6%E0%A5%8D%E0%A4%B0_%E0%A4%97%E0%A5%8C%E0%A4%A4%E0%A4%AE&diff=175989&oldid=prevअनिल जनविजय: '{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=राजेन्द्र गौतम |अनुवादक= |संग्रह= }...' के साथ नया पन्ना बनाया2014-05-29T07:42:05Z<p>'{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=राजेन्द्र गौतम |अनुवादक= |संग्रह= }...' के साथ नया पन्ना बनाया</p>
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<poem><br />
थूहर का काँटा<br />
कुण्डी तो बजती <br />
पर कब कोई आता<br />
कैसी दोपहरी है, <br />
कैसा सन्नाटा !<br />
<br />
आ उढ़के पल्लों को <br />
जब-तब खड़काती<br />
दस्तक-सी देती है <br />
पागल गर्म हवा<br />
आती हैं -- जाती हैं <br />
ड्योढ़ी तक नज़रें<br />
यों भ्रम में ही यह <br />
पूरा दिन बीत रहा<br />
आँगन तक आने से <br />
पाँव नहीं रुकते<br />
गालों पर पड़ता पर <br />
चट लू का चाँटा ।<br />
<br />
सम्वेदन की पँखुरी, <br />
सपनों की कलियाँ,<br />
सम्बन्धों के बिरवे, <br />
जब झुलसे पाता<br />
तब कतरा यह मन <br />
दहके जंगल से --<br />
जलते सीवानों से <br />
आकर जुड़ जाता<br />
कोंपल की छुवनें <br />
तो बातें हैं कल की<br />
उँगली में चुभता अब <br />
थूहर का काँटा ।<br />
</poem></div>अनिल जनविजय