http://kavitakosh.org/kk/index.php?title=%E0%A4%95%E0%A5%88%E0%A4%B8%E0%A5%87_%E0%A4%95%E0%A4%B5%E0%A4%BF_%E0%A4%B9%E0%A5%8B%3F_/_%E0%A4%AE%E0%A4%A3%E0%A4%BF%E0%A4%AD%E0%A5%82%E0%A4%B7%E0%A4%A3_%E0%A4%B8%E0%A4%BF%E0%A4%82%E0%A4%B9&feed=atom&action=historyकैसे कवि हो? / मणिभूषण सिंह - अवतरण इतिहास2024-03-29T08:03:32Zविकि पर उपलब्ध इस पृष्ठ का अवतरण इतिहासMediaWiki 1.24.1http://kavitakosh.org/kk/index.php?title=%E0%A4%95%E0%A5%88%E0%A4%B8%E0%A5%87_%E0%A4%95%E0%A4%B5%E0%A4%BF_%E0%A4%B9%E0%A5%8B%3F_/_%E0%A4%AE%E0%A4%A3%E0%A4%BF%E0%A4%AD%E0%A5%82%E0%A4%B7%E0%A4%A3_%E0%A4%B8%E0%A4%BF%E0%A4%82%E0%A4%B9&diff=264875&oldid=prevसशुल्क योगदानकर्ता ५: '{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=मणिभूषण सिंह |अनुवादक= |संग्रह= }} {{KK...' के साथ नया पृष्ठ बनाया2019-07-14T12:58:41Z<p>'{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=मणिभूषण सिंह |अनुवादक= |संग्रह= }} {{KK...' के साथ नया पृष्ठ बनाया</p>
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|रचनाकार=मणिभूषण सिंह<br />
|अनुवादक=<br />
|संग्रह=<br />
}}<br />
{{KKCatKavita}}<br />
<poem><br />
धरा छोड़ उड़ते हो!<br />
कैसे कवि हो?<br />
अपनी उपत्यक्ता पर क्षण भर भी<br />
ठहर नहीं पाते हो!<br />
क्या लाते हो?<br />
<br />
क्यों गहन घाटियों में<br />
रह-रह कर उतर-उतर जाते हो!<br />
क्या पाते हो?<br />
क्यों वैनतेय सम<br />
अम्बर पथ पर<br />
अभ्रखण्ड गिनते हो!<br />
क्या चिनते हो?<br />
<br />
प्रेक्षाकारी तो न हो,<br />
किन्तु प्रेक्षण-बल तो तुमको है!<br />
उस बल के होते हुए<br />
मात्र कल्पक होकर <br />
अपने यथार्थ में रंग भरा करते हो!<br />
क्या करते हो?<br />
<br />
सत्याभिधान हो!<br />
फिर क्यों तुम सत्यानृत को गहते हो?<br />
क्या कहते हो?<br />
कल्पनाजन्य-मिथ्यात्व-मूढ़ हो<br />
अपर-लोक रहते हो!<br />
क्यों बहते हो?<br />
किसलिए नहीं तुम भू पर ही रहते हो?<br />
केवल व्योमदहृ सहते हो!<br />
अहरह दह में जा दहते हो!!<br />
सब सहते हो!!!<br />
<br />
धरा छोड़ उड़ते हो!<br />
कैसे कवि हो?<br />
अपनी उपत्यक्ता पर क्षण भर भी<br />
ठहर नहीं पाते हो!<br />
क्या लाते हो?<br />
</poem></div>सशुल्क योगदानकर्ता ५