कैसे जल लाऊँ मैं पनघट जाऊँ।
होरो खेलल जल्द लाड़िलो क्योंकर रिवहज पाऊँ॥
वे तो निलज फाग मदमाते हौं कुल-बधू कहाऊँ।
जो छुवें अंचल 'रसिकबिहारी' धरती फार समाऊँ॥
कैसे जल लाऊँ मैं पनघट जाऊँ।
होरो खेलल जल्द लाड़िलो क्योंकर रिवहज पाऊँ॥
वे तो निलज फाग मदमाते हौं कुल-बधू कहाऊँ।
जो छुवें अंचल 'रसिकबिहारी' धरती फार समाऊँ॥