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कैसे नीम जिये / शीलेन्द्र कुमार सिंह चौहान

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कैसे नीम जिये ?
 
पीपल बरगद ने आपस में
झगड़े रोज किये
तनातनी के इस मौसम में
कैसे नीम जिये?
जिनकी पूजा कल तक करते
थे दिन दिन भर लोग
जाने कैसे उन्हेें लग गया
यह संक्रामक रोग
इनके हाथ कुल्हाड़ी है वो
आरा हाथ लिये
अपनी अपनी फिकर सभी को
करे फैसला कौन
सारा जंगल गुमसुम बैठा
देख रहा हो मौन
आगे खुदीं खाईयाँ पीछे
गहरे खुदे कुँये
जिनकी शीतल छाया कल तक
लगती थी अभिराम
आग उगलना ही बस उनका
एक रह गया काम
यहाँ वहाँ हर जगह दिख रहे
फैले हुये धुँये
तनातनी के इस मौसम में
कैसे नीम जिये?