भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

"कोई कलम / रामेश्वर काम्बोज ‘हिमांशु’" के अवतरणों में अंतर

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
 
पंक्ति 34: पंक्ति 34:
 
समर्पित तुम्हें है   
 
समर्पित तुम्हें है   
 
प्राणों में तुम ।
 
प्राणों में तुम ।
 +
58
 +
गुलाबी सर्दी
 +
गर्माहट देता है
 +
साथ तुम्हारा।
 +
59
 +
सुख में भूलो
 +
दुख में मुझे कभी
 +
भुला न देना।
 +
60
 +
कुछ न बाँटो
 +
पर थोड़ा -सा दुःख
 +
मुझे भी देना।
  
 
-0-
 
-0-
  
 
</poem>
 
</poem>

11:06, 11 फ़रवरी 2019 के समय का अवतरण

51
मन में फाँस
तेरा दुःख अटका
रुकी है साँस।
52
स्वर्गिक सुख
किसी को न सुहाया
सदा जलाया।
53
मन बावरे
दर्द के साथ पड़ीं
तेरी भाँवरें।
54
मिट जाएँगे
हम किसी जन्म में
तुझे पाएँगे।
55
कोई कलम
मिले मुझको ऐसी
कि सुख लिखूँ ।
56
पी तेरा दर्द
जीवन मैं जी जाऊँ
स्वर्ग मैं पाऊँ।
57
स्नेह ये सारा
समर्पित तुम्हें है
प्राणों में तुम ।
58
गुलाबी सर्दी
गर्माहट देता है
साथ तुम्हारा।
59
सुख में भूलो
दुख में मुझे कभी
भुला न देना।
60
कुछ न बाँटो
पर थोड़ा -सा दुःख
मुझे भी देना।

-0-