कोई क्या जाने बाँकपन के यह ढंग।
सुलह दुश्मन से और दोस्त से जंग॥
क्या ज़माना था कैसे दुश्मन थे?
रात भर सुलह और दिन भर जंग॥
संगे-दिल को बना दूँ देवता मैं।
आप क्या जानें बन्दगी के ढंग?
कोई क्या जाने बाँकपन के यह ढंग।
सुलह दुश्मन से और दोस्त से जंग॥
क्या ज़माना था कैसे दुश्मन थे?
रात भर सुलह और दिन भर जंग॥
संगे-दिल को बना दूँ देवता मैं।
आप क्या जानें बन्दगी के ढंग?