Last modified on 4 फ़रवरी 2011, at 04:46

कोई तो हा हाथ / ओम पुरोहित कागद

Neeraj Daiya (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 04:46, 4 फ़रवरी 2011 का अवतरण (नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=ओम पुरोहित कागद |संग्रह=आंख भर चितराम (मूल) / ओम प…)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)

{{KKCatKavita}

आं ईंटां रै
ठीक बिचाळै
पड़ी आ
काळी माटी नीं
राख है चूल्है री
जकी ही काळीबंगा में
कदै’ई चेतन
चुल्लै माथै
कदै’ई तो
सीजतो हो
खदबद खीचड़ो
कोई तो हा हाथ
जका परोसता
घालता पळियै सूं घी
भेळा जीमता
टाबरां नै