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कोई दरवाज़ा निकाल रहा है / विजयदेव नारायण साही

ठक... ठक... ठक...
कुल्हाड़ी की आवाज़ आती है
कोई दरवाज़ा निकाल रहा है
पुराने मक़बरे से।