Last modified on 7 जनवरी 2009, at 13:39

कोई दरवाज़ा निकाल रहा है / विजयदेव नारायण साही

अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 13:39, 7 जनवरी 2009 का अवतरण (नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=विजयदेव नारायण साही |संग्रह=साखी / विजयदेव नारा...)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)

ठक... ठक... ठक...
कुल्हाड़ी की आवाज़ आती है
कोई दरवाज़ा निकाल रहा है
पुराने मक़बरे से।