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कोई नहीं जानता.. / सुमन केशरी

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कोई नहीं जानता कब कौन सा बीज
पनपेगा गर्भ में जीवन बन कर
नौ मास तक दिन गिनती है माँ
और बाट जोहते हैं
परिजन-पुरजन
अपने होने को जताता है बच्चा
पल-पल
फिर ऊँआ...ऊँआ करता
नव आगत
अपने आ पहुँचने की उद्घोषणा करता है
पर क्या वह जानता है
कि प्रेम-हिंसा, सुन्दर-असुन्दर, राग-विराग से भरे
जीवन से कब उसे वापस चले जाना है ?

आज भोर
कान में फुसफसा कर
तथागत ने पूछा
नव आगत की की उद्घोषणा में
तुमने ऊँ की मूल ध्वनि
और
आह का प्रथमाक्षर सुना न माँ ?